श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥ १ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
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दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥ ७ ॥
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